Main Nazar Se Pi Raha Hoon Ghazal by Anwar Mirzapuri
Main Nazar Se Pi Raha Hoon
Main Nazar Se Pi Raha Hoon Ghazal by Anwar Mirzapuri – Explore the timeless verses of Anwar Mirzapuri, as he beautifully articulates love, longing, and desire in his poetic expressions. Dive into his evocative words that capture the essence of passion and emotion.
मैं नज़र से पी रहा हूँ हिन्दी में
मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए
न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए
मिरे अश्क भी हैं इस में ये शराब उबल न जाए
मिरा जाम छूने वाले तिरा हाथ जल न जाए
अभी रात कुछ है बाक़ी न उठा नक़ाब साक़ी
तिरा रिंद गिरते गिरते कहीं फिर सँभल न जाए
मिरी ज़िंदगी के मालिक मिरे दिल पे हाथ रखना
तिरे आने की ख़ुशी में मिरा दम निकल न जाए
मैं बना तो लूं नशेमन किसी शाख-ए-गुलसितां पे
कहीं साथ आशियां के ये चमन भी जल न जाए
मुझे फूँकने से पहले मिरा दिल निकाल लेना
ये किसी की है अमानत मिरे साथ जल न जाए