Irritated Shayari – Nafrat Keejiye by Karzdar Mayank
Nafrat Keejiye
Irritated Shayari – Nafrat Keejiye by Karzdar Mayank | In this poignant ghazal penned by the poet Karzdaar Mayank, the themes of love, Irritation longing, and life’s struggles are beautifully interwoven. The poet implores us to consider why we should harbor desires for affection when faced with indifference and hatred. The verses emphasize the importance of sincerity and clarity in communication. Karzdaar reflects on the challenges of life, the grind of daily work, and the burden of responsibilities, all the while reminding us to find moments of respite and self-reflection. This ghazal offers a thought-provoking exploration of human emotions and societal norms, making it a compelling addition to any Shayari collection.
नफ़रत कीजिये हिन्दी में
क्यूं भला चाहने की हसरत कीजिये
बस हम देखिये और नफ़रत कीजिये
मुस्कान, तारीफ़, हाल चाल ठीक है
पहले जनाब अर्ज़-ए-मतलब कीजिये
आप को कहां पड़ी है हिंदोस्तान की
आप का सीधा मक़सद देहशत कीजिये
दिन को रात, रात को दिन करने वालों
ज़रा अपने से कभी फुर्सत कीजिये
सारी परशानी यहाँ आ के ठहरी है
बस रात ओ दिन घर से दफ्तर कीजिये
तुम ही तो हो ज़िम्मेदार इस हालत के
अब क्यूं हमें देख कर हैरत कीजिये
सुबह से शाम की मजदूरी के बाद
चारागर कहते हैं कसरत कीजिये
मारे नहीं मार पाते हो हमें
ऐसे केसे चलेगा मेहनत कीजिए
ज़माने का दस्तूर ही कुछ ऐसा है
बेइंतहां इश्क कर फुर्कत कीजिये
कुछ दिन शर्म में ही डूब रहें हम
कभी संग अपने कुछ हरकत कीजिये
‘ कर्ज़दार’ तबाह करने तुले हैं वो लोग
जो भरे मूंह कहते थे बरकत कीजिये