Aao Phir Se Diya Jalayein Kavita on Diwali, Hope & Resilience by Atal Bihari Vajpayee
Aao Phir Se Diya Jalayein
Aao Phir Se Diya Jalaayein – beautiful poem by former Indian Prime Minister Atal Bihari Vajpayee and a great kavi, the metaphor of lighting a lamp amidst darkness reflects the spirit of Diwali – the festival of lights. Discover the profound message of hope, resilience, and never giving up, especially in the face of challenges. A perfect Diwali sentiment to inspire and uplift your spirits.
आओ फिर से दिया जलाएँ हिन्दी में
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाईं से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें,
बुझी हुई बाती सुलगाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ
हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वतर्मान के मोहजाल में
आने वाला कल न भुलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ
आहुति बाक़ी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज्र बनाने
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ