Famous Ahmad Faraz’s Ghazal – Thodi Door Saath Chalo
Thodi Door Saath Chalo
Embark on a poetic journey with Ahmad Faraz, where love and longing take center stage. His verses reveal the complexities of life’s path, the fleeting moments of connection, and the allure of the unknown. Explore the profound beauty of his words and join him in a captivating voyage through the heart’s desires.
थोड़ी दूर साथ चलो हिन्दी में
कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो
बहुत कड़ा है सफ़र थोड़ी दूर साथ चलो
तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है
ये जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो
नशे में चूर हूँ मैं भी तुम्हें भी होश नहीं
बड़ा मज़ा हो अगर थोड़ी दूर साथ चलो
ये एक शब की मुलाक़ात भी ग़नीमत है
किसे है कल की ख़बर थोड़ी दूर साथ चलो
अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के
अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो
तवाफ़-ए-मंज़िल-ए-जानाँ हमें भी करना है
‘फ़राज़’ तुम भी अगर थोड़ी दूर साथ चलो