Shayari On Hindustan : Main Banda Hoon Hindustan Ka by Karzdaar Mayank
Main Banda Hoon Hindustan Ka
Shayari On Hindustan : Main Banda Hoon Hindustan Ka by Karzdaar Mayank – 75+ years after India gained independence, the sacrifices made for our nation are often overlooked. In a world where many patriots continue to risk everything for our country’s well-being, there’s a concerning lack of gratitude among some of us. ‘Karzdaar’ Mayank, in his powerful ghazal, shines a harsh spotlight on the ungrateful and uncultured attitudes that persist in our society. The beauty of this ghazal lies in its unique perspective; Karzdaar Mayank criticizes his own fellow citizens by representing himself, showcasing a sense of responsibility often missing in complainers. This Deshbhakti ghazal serves as a compelling reminder to all Indians, urging them to take responsibility for the betterment of our beloved nation. Written in accessible language, it targets political parties, religious leaders, and citizens alike, in the hope of inspiring positive change. Let us complain less and build a stronger sense of responsibility. Jai Hind. Jai Bharat.
मैं बंदा हूं हिन्दुस्तान का हिन्दी में
मैं बंदा हूं हिन्दुस्तान का
हर बात से दिक्कत होती है ।
बेकार हो या हो अच्छा कुछ
हर काम से दिक्कत होती है ।।
जब रुपियों की कीमत कुछ ना
में पैसों में बिक जाता हूं।
फिर चाहे जिसका नाम कहो
उस नाम से दिक्कत होती है ।।
मैं मुल्ला हूं मैं हूं पंडित
बस मेरा मज़हब ही सब कुछ ।
दूजे मज़हब की नफरत में
भगवान से दिक्कत होती है ।।
हक है करना दंगे मेरा
हर नारा में कह सकता हूं ।
आज़ाद हैं मेरे लफ्ज़ तुझे
किस बात की दिक्कत होती है? ।।
सांसों को खार बताता हूं
धड़कन बस ज़ख्म पिरौती है ।
शिकवे हैं काफ़ी जीने से
मरने से दिक्कत होती है।।
मेरे ज़िम्मे इस देश की
ज़िममेदारी मुझसे पूछो ना ।
बस गहराई में तर्क है इक
सरकार से दिक्कत होती है।।
हां पूछो की मैंने बदले में
मुल्क को क्या है लौटाया ।
मैं ‘कर्ज़दार’ मुझसे पूछो
किस हक में दिक्कत होती है? ।।