Hindu Muslim Danga Shayari – Main Ro Raha Hoon Teri Shakl Pe – Karzdaar Mayank
Main Ro Raha Hoon Teri Shakl Pe
Hindi Muslim Danga Shayari – Main Ro Raha Hoon Teri Shakl Pe by Karzdaar Mayank is a poignant ghazal penned by Karzdaar, addressing the tragic events of the Delhi riots in 2020. In this heartfelt piece of poetry, Karzdaar reflects upon the prevailing Hindu-Muslim tension and the sorrow it has brought to the nation. He particularly emphasizes the irreparable losses suffered by those who lost their loved ones, shining a spotlight on the tragic case of IB Officer Ankit Sharma.
The ghazal delves into the deep-seated resentment between Hindus and Muslims, highlighting the need for unity and understanding in these challenging times. Karzdaar mourns the loss of innocent lives and condemns the violence that marred the city during those unfortunate days.
In the concluding verse, Karzdaar addresses the Hindu-Muslim hatred, urging for a change in perspective. He calls for spreading love and understanding instead of rumors and controversies. This ghazal serves as a powerful reminder of the importance of standing up for what is right and just, transcending communal boundaries.
As we reflect on the events of the Delhi riots in 2020, let us remember the need for harmony, empathy, and peace among all communities.
मैं रो रहा हूँ तेरी शकल पे हिन्दी में
मैं रो रहा हूं तेरी शक्ल पे जो लाज-इज़्ज़त थी खो रहे हैं;
मैं तेरा दुश्मन, तू बैरी मेरा हम शव की गिनती को धो रहे हैं
है नाच नंगा आज़ादियों का जहाँ भी देखूँ धुंआ धुंआ है
जो जी में आये वो कह रहे हैं, जो जी में आये वो कर रहे हैं
जो कल थी यारी वो सामने हैं मैं जल रहा हूँ, वो जल रहे हैं
वो क्यूँ मुसलमा’, मैं क्यूँ हूँ हिन्दु मैं डर रहा हूँ, वो डर रहे हैं
जो बात आयी मेरे धरम पे मैं फ़ूंक आया मेरा पढोसी
जो साथ में थे न जाने कब से मेरे ही हाथों क्यों मर् रहे हैं
जो मैं निकलता था मेरे घर से बढी चमक थी मेरे जहां मैं
है खाक़ मंदिर, मज़ार-ओ-मस्जिद दर-ओ-दुकाने भी खा रहे हैं
कल शाम अफसर था मेरा बेटा हम अपनी छाती फुला रहे थे
कटा-पिता आँखें नोच ली हैं हम लाश काँधे उठा रहे हैं
“वो मर गया तू क्यों रो रहा है जो तेरे हाथों मैं कुछ नहीं है”
जो साथ मैं तुम न रोना जानो न मुझसे पूछो क्यों रो रहे हैं
जो ‘कर्ज़दार’ मैं बोला सब से हम उनके भाई, वो भाई अपने
वो भाई अपने तुझे बुलावा है तू भी आज वो मेरी मय्यत को हो रहे हैं