Nasir Kazmi Famous Ghazal – Dil Mein Aur To Kya Rakkha Hai
Dil Mein Aur To Kya Rakkha Hai
Explore the emotional verses of Nasir Kazmi Famous Ghazal – Dil Mein Aur To Kya Rakkha Hai, where poetry becomes a vessel for unspoken pain and concealed emotions. His words unveil the depths of suffering, the secrecy of heartache, and the complexity of human connections. Join him on a journey through the unspoken and the heartfelt.
दिल में और तो क्या रक्खा है हिन्दी में
दिल में और तो क्या रक्खा है
तेरा दर्द छुपा रक्खा है
इतने दुखों की तेज़ हवा में
दिल का दीप जला रक्खा है
धूप से चेहरों ने दुनिया में
क्या अंधेर मचा रक्खा है
इस नगरी के कुछ लोगों ने
दुख का नाम दवा रक्खा है
वादा-ए-यार की बात न छेड़ो
ये धोका भी खा रक्खा है
भूल भी जाओ बीती बातें
इन बातों में क्या रक्खा है
चुप चुप क्यूँ रहते हो ‘नासिर’
ये क्या रोग लगा रक्खा है