Bashir Badr’s Popular Ghazal Agar Yakeen Nahi Aata
Agar Yakeen Nahi Aata
Delve into the poignant verses of Bashir Badr’s Popular Ghazal Agar Yakeen Nahi Aata as he embarks on a journey of self-exploration and longing through his poetry. His words capture the essence of inner questioning, emotional exhaustion, and the desire for a connection that touches the heart. Allow his verses to take you on a profound poetic exploration.
अगर यक़ीं नहीं आता हिन्दी में
अगर यक़ीं नहीं आता तो आज़माए मुझे
वो आइना है तो फिर आइना दिखाए मुझे
अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ
मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे
मैं जिस की आँख का आँसू था उस ने क़द्र न की
बिखर गया हूँ तो अब रेत से उठाए मुझे
बहुत दिनों से मैं इन पत्थरों में पत्थर हूँ
कोई तो आए ज़रा देर को रुलाये मुझे
मैं चाहता हूँ कि तुम ही मुझे इजाज़त दो
तुम्हारी तरह से कोई गले लगाए मुझे