Usool Shayari – Usoolon Se Aaraam Chaahiye by Karzdaar Mayank
Usoolon Se Aaraam Chaahiye
Usool Shayari – Usoolon Se Aaraam Chaahiye by Karzdaar Mayank – This Hindi Ghazal Is For Those Who Sometimes Find Their Own Set Of Rules Suffocating. We Are Always Faking And Restraining From Our Wants Just Because Of Our Own Set Of Restrictions. This Hindi Ghazal Is About The Carelessness (Beparwahi Shayari) Which The Shayar ‘Karzdaar Mayank’ Feels To Be Abundantly Important For Him Given His Own Set Of Rules Restrain Him From Being What He Wish To Be. But In The Last Couplets Of This ‘Usool’ Names Ghazal, He Himself Asks Karzdaar To Cool Down A Bit And Not Flow With The Emotion Of Carelessness. He Feels There Is Much To Achieve And This Emotion Would Ruin Everything.
उसूलों से आराम चाहिए हिन्दी में
उसूलों से आराम चाहिए
राहत भरी शाम चाहिए ।
थक गया हूँ नाम के पीछे
नाम मेरा बदनाम चाहिए ।।
पहले खुद से फिर ज़माने को कहा
झूठ ताउम्र पछताने को कहा ।
अब सदाएं दिल की सुनो जाएं
ज़रा ऐसा इंतज़ाम चाहिए ।।
मैं भी तो अब हद करता हूं
ज्ञान की बातें सब करता हूं ।
बहुत ज्ञान सम्मान किया
अब थोड़ा दिल बेईमान चाहिए ।।
एसी कौन सी इज्ज़त कमाली आखिर
बेइज़्ज़त का खौफ है जो ।
अब होता हो तो हो जाए
काम मेरा तमाम चाहिए ।।
यूं तो सबसे बातें करते हैं
हम से भी तो क्या कर ली।
मोहतरमा इश्क़ कुबूलो तुम
आंखों से एलान चाहिए ।।
क्या कर्ज़दार तुम भी तो
बेचैन हुए इक जज़्बे में ।
ज़माने में पहचान चाहिए
तुम्हें सर पे इल्ज़ाम चाहिए?