Rasta Sochte Rehne Se Kidhar Banta Hai Ghazal on Life by Jaleel ‘Aali’
Rasta Sochte Rehne Se Kidhar Banta Hai
Rasta Sochte Rehne Se Kidhar Banta Hai Ghazal on Life by Jaleel ‘Aali’ – Explore the profound verses of Jaleel Aali’s life ghazal, touching on the journey of existence, love, and the complexities of expression in Urdu poetry. These verses delve into the intricacies of life and the human experience.
रास्ता सोचते रहने से किधर बनता है हिन्दी में
रास्ता सोचते रहने से किधर बनता है
सर में सौदा हो तो दीवार में दर बनता है
आग ही आग हो सीने में तो क्या फूल झड़ें
शोला होती है ज़बाँ लफ़्ज़ शरर बनता है
ज़िंदगी सोच अज़ाबों में गुज़ारी है मियाँ
एक दिन में कहाँ अंदाज़-ए-नज़र बनता है
मुद्दई तख़्त के आते हैं चले जाते हैं
शहर का ताज कोई ख़ाक-बसर बनता है
इश्क़ की राह के मेयार अलग होते हैं
इक जुदा ज़ाइच-ए-नफ़-ओ-ज़रर बनता है
अपना इज़हार असीर-ए-रविश-ए-आम नहीं
जैसे कह दें वही मेयार-ए-हुनर बनता है