Majboori Shayari – Wese Sab Aata Hai by Karzdaar Mayank
Wese Sab Aata Hai
Experience this ‘Majboori Shayari’ : Wese Sab Aata Hai by Karzdaar Mayank, where the essence of helplessness is beautifully portrayed, accompanied by an acceptance that it’s ‘okay.’ Karzdaar Mayank’s Shayari, including this one, is known for its simplicity and relatability, making it easy for readers to connect with the emotions within. Immerse yourself in this Ghazal and savor the profound feelings it evokes.
वैसे सब आता है हिन्दी में
दिल में कुछ होता है मुंह पे कुछ आता है
मौत आती है उनके सामने वैसे सब आता है
जब परखा कायनात को हमने तो ये परखा
जो नहीं आना चाहिए वो पसंद आता है
मुश्किल पड़ता है झूठ कहने में लोगों से
सो खुद से झूठ कहने का हुनर आता है
जो महफिलों में मेरा नाम भूल जाता है अक्सर
लानत है की उससे प्यार का ऐतबार आता है
मुद्दा फिर ये है की उसे फ़र्क़ ही नहीं मुझसे
अब भूल जाएं मोहब्बत का ज़िक्र कब आता है
शायद अपना कुछ यूँ भी होना मुश्किल है
जहां नहीं आना चाहिए वहां ‘ मैं ‘ आता है
अबकी मिलेगा जिस दिन तो लिपट जाएगा मेरे सीने से
ये दिन आता है तो ख्वाब में ही क्यों आता है
वो फूल है, सब के लिए महकता है ‘कर्ज़दार’
तुम बताओ, तुम्हारे लिए क्या ख़ास आता है?