Diwali Nazm – Ghut Gaya Andhere Ka Aaj Dam Akele Mein by Nazeer Banarasi
Ghut Gaya Andhere Ka Aaj Dam Akele Mein
Diwali Nazm – Ghut Gaya Andhere Ka Aaj Dam Akele Mein by Nazeer Banarasi is a powerful and evocative reflection on the celebration of Diwali and the symbolism of light in the midst of darkness. This Diwali Shayari conveys a message of hope, resilience, and the triumph of good over evil. The poet – Nazeer Banarasi, urges us to embrace the light and spread it with joy and enthusiasm, even in challenging times. Ghut Gaya Andhere Ka Aaj Dam Akele Meinalso invokes the spirit of various mythological and historical characters like Krishna, Arjuna, and Draupadi, symbolizing the strength and determination to overcome obstacles. It encourages us to take control of our destinies and become the creators of our own future.
घुट गया अँधेरे का आज दम अकेले में हिन्दी में
घुट गया अँधेरे का आज दम अकेले में
हर नज़र टहलती है रौशनी के मेले में
आज ढूँढने पर भी मिल सकी न तारीकी
मौत खो गई शायद ज़िंदगी के रेले में
इस तरह से हँसती हैं आज दीप-मालाएँ
शोख़ियाँ करें जैसे साथ मिल के बालाएँ
हर गली नई दुल्हन हर सड़क हसीना है
हर देहात अँगूठी है हर नगर नगीना है
पड़ गई है ख़तरे में आज यम की यमराजी
मौत के भी माथे पर मौत का पसीना है
रात के करूँ मैं है आज रात का कंगन
इक सुहागनी बन कर छाई जाती है जोगन
क़ुमक़ुमे जले घर घर रौशनी है पट पट पर
ले के कोई मंगल-घट छा गया है घट घट पर
रौशनी करो लेकिन फ़र्ज़ पर न आँच आए
हो निगाह सीमा पर और कान आहट पर
होशियार उन से भी जो निगाह फेरे हैं
पाक ही नहीं तन्हा और भी लुटेरे हैं
छोड़ अपनी नापाकी या बदल दे अपनी धुन
मौत लेगा या जीवन दो में जिस को चाहे चुन
हम हैं कृष्ण की लीला हम हैं वीर भारत के
हम नकुल हैं हम सहदेव हम हैं भीम हम अर्जुन
द्रौपदी से दुर्घटना दूर कर के छोड़ेंगे
ऐ समय के दुर्योधन चूर कर के छोड़ेंगे
क़ब्र हो समाधी हो सब को जगमगाएँगे
धूम से शहीदों का सोग हम मनाएँगे
तुम से काम लेना है हम को दीप-मालाओ
सारे दीप की लौ से दिल की लौ बढ़ाएँगे
सब से गर्मियाँ ले कर सीने में छुपाना है
दिल को इस दिवाली से अग्नी बम बनाना है